लखनऊ। गुरुवार को केजीएमयू के सेल्बी हॉल में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल राम नईक ने कहा कि तम्बाकू के सेवन से हर साल भारत में 10 लाख लोगों की मौत हो रही है। इतनी मौतें तो किसी युद्ध में भी नहीं होती। उन्होंने कहा कि तम्बाकू का सेवन लोगों को ना करने के लिए कानून तो बनाया जा सकता है लेकिन जब तक लोग खुद जागरूक नहीं होंगे तब तक इसे पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता। वहीं तम्बाकू के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए कुछ लोगों को सम्मानित भी किया गया
ये अच्छी बात
कार्यक्रम में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत ने तम्बाकू को प्रतिबंधित करने के लिए एक पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है, राज्यपाल ने उसको प्रधानमंत्री तक अपने लेटर के माध्यम से भेजने की घोषणा भी की है।
लघु फिल्म के जरिए जागरुकता
इस अवसर पर डॉ. एके त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष क्लीनिकल हिमैटालजी विभाग के शोध, परिकल्पना पर आधारित लघु फिल्म संवरती जिन्दगी का विमोचन राज्यपाल ने किया। यह लघु फिल्म एनीमिया रोग के बारे में रुचिकर तथा सरल रूप से दर्शकों को जागरूक करती है।
65 प्रकार की बीमारियां तम्बाकू की वजह से
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने कहा कि भारत में 10 लाख लोग परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से तम्बाकू की वजह से मौत के मुंह में जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिल से संबंधित 20 प्रतिशत बीमारी तम्बाकू की वजह से होती है। इस प्रकार कुल 65 प्रकार की बीमारियां तम्बाकू की वजह से होती है। यही नहीं तम्बाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति की औसत आयु 10 वर्ष कम हो जाती है। इस दौरान प्रो. रमाकांत ने कहा कि लोगों को अपने समाज, अपने परिवार से प्यार ना मिलना भी नशे के प्रति बढ़ावा दे रहा है।
आय की वजह से सरकारें प्रतिबंध नहीं लगाती
कार्यक्रम में प्रो. सूर्यकांत ने कहा कि भारत में भी तम्बाकू से होने वाले आय की वजह से सरकारें इस पर प्रतिबंध नहीं लगाती हैं। तम्बाकू से करीब 2.50 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है, यह भी एक वजह है इसको प्रतिबंधित नही किया जा रहा है। किन्तु तम्बाकू से जितना सरकार को रेवेन्यू मिलता है उससे कही ज्यादा तम्बाकू अन्य बीमारियों पर रेवेन्यू खर्च करना पड़ता है।
3300 मौतें हर दिन
मंच संचालन करते हुए प्रो. विनोद जैन ने कहा कि 1988 से विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जा रहा है। तम्बाकू से करीब 3300 मौतें हर दिन होती है। इससे करीब 24000 करोड़ रुपये का आय होता है किन्तु इससे जनित बीमारियों पर 27000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं।