लखनऊ। भारत में हर साल 9 लाख लोग तम्बाकू के सेवन के चलते अपनी जान गवां देते हैं। वहीं दुनिया भर में तम्बाकू के चलते 60 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। विश्व भर में रोकी जा सकने वाली मौतें और बीमारियों का एकमात्र सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने कही। डॉ. अग्रवाल नेशनल पीजी कॉलेज में वल्र्ड नो स्मोकिंग डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।
40 फीसदी मौत तम्बाकू सेवन से
उन्होंने कहा कि वल्र्ड नो स्मोकिंग डे वर्ष 1984 से प्रारंभ हुई है। उन्होंने कहा कि जितनी मौतें क्षय रोग, एड्स और मलेरिया से होती हैं उससे कहीं ज्यादा मौते तम्बाकू के सेवन से होती हैं। प्रतिदिन 2200 से अधिक भारतीय तंबाकू सेवन के कारण मरते हैं। भारत में कैंसर से मरने वाले 100 रोगियों में 40 तंबाकू के प्रयोग के कारण मरते हैं। प्रति 100 रोगियों में 40 तंबाकू के प्रयोग के कारण मरते हैं। लगभग 90 फीसदी मुंह के कैंसर तंबाकू सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते हैं।
10 वर्ष बाद फेफड़ों के कैंसर का जोखिम आधा
जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉक्टर केपी त्रिपाठी ने धूम्रपान छोडऩे के फायदे गिनाए। उन्होंने बताया कि धूम्रपान छोडऩे के 20 मिनट बाद रक्तचाप व हृदय गति सामान्य हो जाएगी। धूम्रपान छोडऩे के 24 घंटे के बाद कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से बाहर निकल जाती है। धूम्रपान छोडऩे के 72 घंटे के बाद सांस लेना आसान हो जाता है। धूम्रपान छोडऩे के 12 से 60 महीने बाद ह्रदय रोग का जोखिम आधा हो जाता है तथा धूम्रपान छोडऩे के 10 वर्ष बाद फेफड़ों के कैंसर का जोखिम आधा हो जाता है।
ये थे कार्यक्रम में मौजूद
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए नेशनल पीजी कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ नीरजा सिंह ने बताया कि हमारे विद्यालय के 99.9 प्रतिशत छात्र धूम्रपान नहीं करते हैं। सभी अनुशासन का पालन करते हैं। कार्यक्रम में डॉ. एसके सक्सेना तथा जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के सलाहकार डॉ. मयंक चौधरी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी उपस्थित लोगों को धूम्रपान न करने की शपथ भी दिलाई तथा एक हस्ताक्षर अभियान का शुभारंभ भी किया।