लखनऊ। आज के समय में कंधे का उतरना या उखडऩा एक कॉमन इंजरी है। यह इंजरी अक्सर खेलते-कूदते या एक्सीडेंट में अक्सर ही हो जाती है। अंगड़ाई लेते समय, बॉल फेंकने के एक्शन में भी इस इंजरी के ज्यादा होने की संभावना होती है। कंधे का जोड़ बहुत मजबूत नहीं माना जाता है। यह बात केजीएमयू के स्पोट्र्स मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष व आर्थोपेडिक्स के प्रोफेसर डॉक्टर आशीष कुमार श्रीवास्तव ने कही।
… तो बढ़ जाता है खतरा
कंधा उतरना एक ऐसी चोट है जिसमें बांह की ऊपरी हड्डी, कंधे में मौजूद कप के आकार के सॉकेट से बाहर आ जाती है। कप के अंदर ही बॉल घूमती है। कंधे का जोड़ शरीर का सबसे ज्यादा हिलने वाला जोड़ होता है, जिसकी वजह से उसकी अपनी जगह से खिसकने की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर आपको लगता है कि आपका कंधा खिसक गया है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाएं। ज्यादातर लोग चोट लगने के बाद कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन यदि सावधानी ना बरती जाए तो एक बार कंधा उतरने के बाद आपको बार-बार ये समस्या होने से खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे समय में बढ़ जाती है संभावना
अंगड़ाई लेते समय, क्रिकेट बॉल फेंकने वाले एक्शन, गिरते समय दीवार पर हाथ को टेक दिया गया लेकिन शरीर गिरता ही गया, करंट लगने से या मिर्गी का दौरा पडऩे पर कंधा उतरने का डर बना रहता है।
ऐसा भी हो जाता है
कंधे की मजबूती आस-पास के मांस से है। कंधा उतरते समय हमारे कंधे की हड्डी इन चीजों को फाड़ते हुए बाहर निकलती है। ऐसा होने के दौरान कई बार बॉल के ऊपरी हिस्से में हड्डी के दबने से गड्डा भी बन जाता है।
कंधे के उतरते ही कई बार लोग हड्डी बैठाने वालों का सहारा लेते हैं। हड्डी के बैठते ही आराम आ जाता है और लोग काम करना शुरू कर देते हैं। लेकिन चोट लगी हुई है तो तुरंत काम करना कंधे के बार-बार उतरने का कारण बन सकता है। पूर्व में वर्णित प्रक्रियाओं को करने में कंधा फिर उतर जाता है और बार-बार बैठाना पड़ता है। डॉक्टर आशीष कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक यह समझ लेना जरूरी है कि जितनी बार कंधा उतरता है उतनी बार कंधे के आस-पास के मांस को और खराब कर देता है और इलाज करना उतना ही मुश्किल हो जाता है।
यह जरूरी बात
डॉक्टर आशीष कुमार ने बताया कि कंधा उतरा है या अपनी जगह पर है इसके लिए एक्स-रे कराना होता है। लेकिन मांस कितना फटा है, कैसा फटा है, जिसके रास्ते बॉल बाहर आता है। इसके लिए हमें एमआरआई की जरूरत होती है। इसके अलावा बॉल में बने गड्ढे का साइज और पोजीशन का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन की जरूरत होती है, जब सर्जरी प्लान की जाती है।
क्या करना चाहिए
डॉक्टर ने बताया कि पहली बार कंधा उतरने पर सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। मरीज को बेहोशी देकर सही तरीके से कंधे को बैठाया जाना चाहिए। यदि गलत तरीके से जोर लगाए जाने से हड्डी के टूटने की संभावना रहती है। इसके बाद 3 हफ्ते के लिए हाथ को गले में पट्टी डालकर रखना होता है। इस दौरान मरीज को कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। यदि मरीज द्वारा लापरवाही होती है तो कंधे के बार-बार उतरने की संभावना बढ़ जाती है। इसके बाद धीरे-धीरे हाथ का मूवमेंट को बढ़ाना होता है। इसके बाद फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है। यह जरूरी है कि हाथ को उठाकर पीछे ले जाने की प्रक्रिया कम से कम 3 माह तक ना करें।
बिना सर्जरी संभव नहीं
डॉक्टर आशीष कुमार ने बताया कि यदि किसी का कंधा बार-बार उतर रहा है तो सर्जरी के बिना ठीक किया जाना संभव नहीं है। सर्जरी दूरबीन विधि से अथवा बड़ा चीरा, मांस को तरह-तरह से सिलकर मजबूत करना, हड्डी के टुकड़े लगाकर कंधे की स्थिरता बढ़ाई जाती है। एक खास बात यह है कि दूरबीन विधि (आर्थोस्कोपी) से इलाज कराने पर खिलाडिय़ों को वापस खेलने में आसानी होती है। क्योंकि बड़े चीरे लगाकर ऑपरेशन करने से अक्सर कंधा जाम हो जाता है। इस इंजरी के लिए दूरबीन विधि से ऑपरेशन की सुविधा केजीएमयू में है। करीब 90 फीसदी मरीज खुश हैं। इसमें विभिन्न स्तर के खिलाड़ी भी शामिल हैं।