लखनऊ। ऑक्सीजन हम सबके लिए जरूरी है। अब ऐसे में सड़क हादसों में घायल व्यक्ति खुद सांस नहीं ले पाता। ऐसे लोगों को सप्लाई कैसे दी जाए कि व्यक्ति की जान बच सके। केजीएमयू में सड़क हादसों में घायल व्यक्ति, मुख कैंसर से ग्रसित, मोटापा के कारण सांस लेने में तकलीफ और बड़े और छोटे बच्चों के सिर में चोट और झटकों के दौरान ऑक्सीजन की कमी से होने वाले नुकसान को कम करने की विधि के बारे में एयरवे मैनेजमेंट कार्यशाला का आयोजन किया गया।
2-5 मिनट का ही होता है समय
आयोजन समिति के सचिव डॉक्टर तन्मय तिवारी और डॉक्टर प्रेम राज सिंह ने बताया कि कार्यशाला में एयरवे मैनेजमेंट के माध्यम से गंभीर और जटिल मरीजों की जान बचाने में आसानी होगी। बेहोशी के दौरान किसी-किसी मरीज को उच्चदाब द्वारा ऑक्सीजन दी जाती है। बेहोश करने के बाद 2-5 मिनट का ही समय होता है जिससे कि मरीज का नुकसान न हो। इस संगोष्ठी और कार्यशाला में उत्तर भारत से 150 से अधिक डॉक्टर एकत्रित हुए और देश – विदेश में हो रही एयरवे मैनूजमेंट में रीसर्च और नयी तकनीक जैसे दूरबीन विधि, नली द्वारा, तकनीक के बारे में जानकारी दी गयी।
चोट लगने पर मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है
कार्यशाला का उद्घाटन डा. आरएमएलआईएमएस के निदेशक डा. एके त्रिपाठी ने की। उन्होंने कहा कि प्रत्यके व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और इसकी पूर्ति न होने पर उसकी मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि दुर्घटना होने पर, मिर्गी के दौरे आने पर या सिर में चोट लगने पर मरीज को सांस लेने में अक्सर तकलीफ होती है ऐसे समय पर एक चिकित्सक को यह जानकारी होना जरूरी है कि इस विषम परिस्थिति से कैसे निपटा जाए इसलिए इस प्रकार की एयरवे मैनेजमेंट कार्यशाला जरूरी है।
एनेस्थीसिया के चिकित्सक ही करते हैं एयरवे मैनेजमेंट का इस्तेमाल
कार्यशाला में प्रोफेसर अनिता मालिक विभागाध्यक्ष एनेस्थीयोलॉजी ने कहा कि एयरवे मैनेजमेंट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल एनेस्थीसिया के चिकित्सक ही करते हैं लेकिन हर जगह यह उपलब्ध नहीं हो सकते इसलिए इसकी जानकारी सभी चिकित्सकों को होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन हर साल किया जाएगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा चिकित्सकों को इसके बारे में जानकारी हो सके और आम जनमानस को इसका लाभ मिल सके और जितना संभव हो जान बचाई जा सके।
ये थे मौजूद
कार्यशाला के माध्यम से गांव-देहात में दुर्गम परिस्थितियों में भी मरीजों में ऑक्सीजन की कमी न हो, ऐसी तकनीक की भी ट्रेंनिंग दी गयी। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर एसएन शंखवार, सीएमएस केजीएमयू, प्रोफेसर जीपी सिंह, स्टूडेंट वेलफेयर डीन, एम्स दिल्ली के डॉ. राकेश गर्ग, एएमयू के डा. मुंईद अहमद, ट्रामा मेडिसन डिपॉर्टमेन्ट के विभागाध्यक्ष डॉ. हैदर अब्बास तथा निश्चेतना विभाग के डॉ. ज्योत्सना अग्रवाल, डॉ. रजनी कपूर, डॉ. मोनिका कोहली, डॉ. दिनेश कौशल, डॉ. मो. परवेज खान, डॉ. दिनेश सिंह, डॉ. रजनी गुप्ता, डॉ. बीबी कुशवाहा, डॉ. जिया अरशद, डॉ.एके सिद्दकी, डॉ. आरएस गंगवार, डॉ. हेमलता, डॉ. सतीश वर्मा, डॉ. शिफाली गौतम, डॉ. विपिन कुमार, डॉ. राजेश रमन, डॉ. अर्पणा शुक्ला, डॉ. तन्मय तिवारी, डॉ. प्रेम राज सिंह, डॉ. मनीष सिंह, डॉ. मनोज चौरसिया तथा डॉ. विनोद श्रीवास्तव
उपस्थिति थे।