लखनऊ। रायबरेली रोड स्थित एसजीपीजीआई में शरीर में किसी भी अंग के ब्लॉकेज नसों को खोलने की नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक जपान में इस्तेमाल की जाती है। इस तकनीक के आने से अब सीने को खोलकर ऑपरेशन नहीं करना होगा।
अब एक तार के माध्यम से नसों की ब्लॉकेज को खोला जाएगा। इसमें फायदा यह होगा कि बाईपास सर्जरी कराने वाले मरीजों की संख्या घट जाएगी। इसे सीटीओ कहा जाता है। इसका मतलब है कि वो नसें जो तीन महीने या उससे ज्यादा समय से ब्लॉक हों। ज्यादा जानने के लिए डॉक्टर पीके गोयल का वीडियो देखें।
राज्यपाल करेंगे शुभारंभ
इस नई तकनीक का इस्तेमाल बताने के लिए शुक्रवार को आईजेसीटीओ का शुभारंभ किया जाना है। इसका शुभारंभ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक करेंगे। इसी दिन देश-विदेश से आए सैकड़ों डॉक्टर अपने विचार एक-दूसरे से साझा करेंगे। इस बारे में डॉक्टर पीके गोयल ने बताया कि इस नई तकनीक के आने से करीब 40 फीसदी मरीजों को बाईपास सर्जरी नहीं करानी होगी। इस नई तकनीक में कुल खर्च करीब डेढ लाख रुपए तक का आता है।
एक तार की ली जाएगी सहायता
एक मई को नई तकनीक से एक व्यक्ति का ऑपरेशन भी किया जाना है। डॉक्टरों ने मरीज का चुनाव भी कर लिया है। डॉक्टर पीके गोयल ने बताया कि एक छोटा सा छेद करके तार नस में डालकर नस की ब्लॉकेज को खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तकनीक को भारत में बहुत कम लोग ही कर पाते हैं। फिलहाल पीजीआई में इसकी सुविधा शुरू कर दी गई है। इस दौरान डॉक्टर गोयल के साथ डॉ. सुदीप कुमार, डॉ. नवीन गर्ग, डॉ. रूपाली खन्ना, डॉ. सत्येंद्र तिवारी, डॉ. अंकित साहू मौजूद थे।