लखनऊ। आपको अभी तक यह मालूम होगा कि आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथिक और एलोपैथिक से ही इलाज संभव है। लेकिन क्या आपको यह जानकारी है कि आपका इलाज बिना दवा के भी हो सकता है। जी हां यह संभव है, आज हम आपको नेचुरोपैथी यानि कि प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में बताने जा रहे हैं।
डॉ. अमरजीत ने कही ये बात
इस बारे में जानकारी दे रहे हैं योग और प्राकृतिक चिकित्सा के डॉ. अमरजीत यादव। उन्होंने बताया कि जैसे हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है। उन्हीं तत्वों के सहारे हम शरीर की बीमारियों को ठीक भी कर सकते हैं। इसी विधि को नैचुरोपैथी कहते हैं। हम मिट्टी को दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आप सोच रहे होंगे कि मिट्टी से कैसे इलाज संभव है। तो आइए जानते हैं।
इन पांच तत्वों से इलाज
नेचुरोपैथी में इलाज के लिए प्राकृतिक संसाधनों का ही उपयोग किया जाता है जैसे -हवा, पानी, मिट्टी, अग्नि (सूर्य प्रकाश), आकाश (उपवास) इन पांच तत्वों से मिलकर ही हमारा शरीर बना है और इनसे ही इलाज भी संभव है। नेचुरोपैथी में रसायन का कोई रोल नहीं होता है। यह औषधिविहीन चिकित्सा है। हम आपको बता दें कि मिट्टी में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, जिंक, साल्ट, कैडमियम और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है।
ऐसे करते हैं मिट्टी का इस्तेमाल
सबसे पहले आप साफ जगह को चुन लें, फिर 3 फीट गहरे गड्ढे से मिट्टी को निकालें और उसे साफ कर लें फिर सूर्य प्रकाश में उसे सुखा लें। इसके बाद आटे की तरह उस मिट्टी को सान लें इसमें साफ पानी का प्रयोग किया जाएगा। फिर लकड़ी के सांचे में डालकर रोग और स्थान के अनुसार मिट्टी की पट्टी तैयार कर लें। मिट्टी की पट्टी पेट की, पीठ की और माथे की होती है।
मिट्टी स्नान
चर्म रोग, पेट रोग, जोड़ों के रोग के लिए बहुत लाभदायक होता है। इसके अलावा नंगे पैर मिट्टी पर चलना भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है।
जल चिकित्सा
जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे शरीर में 70-80 फीसदी पानी है। जीवन में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका है। जल चिकित्सा में 21 तरह की तकनीक है। जैसे हार्ट पुथ बाथ, बीपी के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें गुनगुने पानी में पैर डालकर करीब 20 से 25 मिनट तक किया जाता है। इसके बाद कटि स्नान आता है इसमें कटि स्नान का टब लेकर नार्मल पानी में मरीज को लिटा दिया जाता है। यह करीब 35 से 45 मिनट तक करना होता है। इससे पेट से संबंधित रोग, पेट के रोग और प्रोस्टेट जैसी बीमारी का इलाज होता है।
सूर्य किरण चिकित्सा
नेचुरोपैथी की मान्यता यह है कि सूर्य के प्रकाश से सातों रंग ऑल टू ऑल बीमारियों में लाभदायक है। सूर्य प्रकाश के चिकित्सकीय गुणों को प्राप्त करने के लिए आवश्यकतानुसार जिस रोग के चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता है, उस रंग का शीशे की बोतल लेकर उसमें स्वच्छ जल यानी कि 3 हिस्सा भरकर ऊपर से कॉक लगा दें ताकि बाहर की गंदगी ना जाए। फिा लकड़ी के पट्टे पर 8 घंटे तक सूर्य के प्रकाश में इसे रख दें। इस विधि के करने की मान्यता है कि उस पानी में संबंधित रंग का चिकित्सा गुण आ चुका होता है।
इसके लिए फायदा
ऐसा करने से पानी का जल आवेशित हो चुका होता है। आवेशित लाल रंग के जल का उपयोग रक्त से संबंधित रोगों के लिए उपयोगी है जबकि पीला रंग पेट से संबंधित नीला रंग फेफड़े के रोगों के लिए और हरा रंग आंखों के लिए एंटीबायोटिक में काम करता है।
आहार चिकित्सा
यह हमारे शरीर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इसमें उबला खाना, सीजन में मिलने वाले फल और सब्जी और अंकुरित खाना खाएं तो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद साबित होता है। इसके साथ ही योग में गहरा श्वास लेने का अभ्यास लेना होता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नेचुरोपैथी में आर्थराइटिस, अस्थमा, मोटापा, हाईबीपी, डायबिटीज, अनिद्रा, दिग्भ्रमित और स्ट्रेस जैसी बीमारियों का इलाज संभव है।