लखनऊ। हमेशा ताजी और हरी सब्जियों का ही सेवन करना चाहिए। इसके अलावा जंक फूड से भी परहेज करना चाहिए। इस बात पर खास ध्यान देना चाहिए कि सहेजकर यानि कि प्रिजर्व रखी और मिलावटी सब्जियों का सेवन करना खतरनाक साबित हो सकता है। अगर आप ऐसा करते हैं तो संभल जाइए क्यों ऐसा करना कैंसर जैसी घातक बीमारी को दावत देना है। उक्त जानकारी केजीएमयू यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख और सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने दी।
समय-समय पर कराएं जांच
केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित यूरोकॉन कार्यशाला में विशेषज्ञों ने तमाम जानकारी दी। डॉ. शंखवार ने बताया कि खान-पान वाली वस्तुओं में मिलावट होने से कई प्रकार की धातु उसमें मिल जाती है। इससे कैंसर बढ़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि परिवार में किसी व्यक्ति को कैंसर है तो उनमें चार से आठ फीसदी कैंसर होने का खतरा रहता है। इसलिए परिवार के सदस्यों को समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए।
रोबोटिक सर्जरी से इलाज संभव
पीजीआई यूरोलॉजी के डॉ. अनीस श्रीवास्तव ने बताया कि गुर्दे के कैंसर का इलाज बेहतर तरीके से किया जा रहा है। रोबोटिक सर्जरी से इसका इलाज काफी हद तक और बेहतर हो गया है। इससे संक्रमण समेत अन्य प्रकार का खतरा कम हुआ है। इसमें रोबोट पूरे कमांड पर रहता है। सर्जन की कलाई आदि निश्चित सीमा तक ही घूमते हैं। वहीं, रोबोट 360 डिग्री तक घूमते हैं। वह शरीर के कई हिस्सों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। रोबोट से छोटा सा छोटा छेद करके ही ऑपरेशन हो जाता है।
अल्ट्रासाउंड कराएं
यूरोलॉजी सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. एमएस अग्रवाल बताते हैं कि पेशाब की मात्रा में कमी या अधिकता हो तो व्यक्ति को तुरंत ही अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। अल्ट्रासाउंड कराने से यह पता चल जाएगा कि गुर्दा में समस्या है या फिर दूसरे अंग या नली में। यदि कोई समस्या आती है तो तुरंत ही मरीज को इलाज शुरू कर देना चाहिए। इलाज में लापरवाही या इलाज टालने पर यह कैंसर का रूप ले सकता है। ऐसे में मरीज को प्रोस्टेट व किडनी कैंसर, मूत्रनली कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है।
गुर्दे पर ही पूरा असर
डॉ. अम्लेश सेठ ने बताया कि धूम्रपान, तंबाकू के सेवन से भी कैंसर की संभावना अधिक होती है। क्योंकि स्मोकिंग में टॉक्सिस होता है। वह शरीर में जाकर जगह-जगह घुल जाता है। गुर्दे का काम फिल्टर का होता है। ऐसे में शरीर में पहुंचने वाली इस गंदगी को साफ करने में गुर्दे पर बुरा प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान से फेफड़े, मुंह समेत अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा भी रहता है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी काफी बड़ी समस्या है। इससे भी गुर्दे पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। कैंसर होने पर पूरा गुर्दा नहीं, बल्कि सिर्फ वह हिस्सा ही निकाला जाता है, जहां पर कैंसर होता है।
गुर्दे के सबसे ज्यादा रोगी
रोबोटिक सर्जरी के डॉ. मल्लिकार्जुन ने बताया कि उत्तर भारत में गुर्दे के सबसे ज्यादा मरीज हैं। जबकि दूसरे क्षेत्रों में गुर्दे के कम मरीज पाए जाते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि जंक फूड गुर्दे पर असर डालता है। ऐसा खानपान में कमी और प्रदूषण के साथ जागरुकता में कमी की वजह से है। रोबोटिक सर्जरी से दक्षिण भारत में गुर्दे के कैंसर के मरीजों की बेहतर इलाज दिया जा रहा है।