लखनऊ। केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने एक बच्चे की आहार नली बनाकर उसे नया जीवन दिया है। अब यह बच्चा सामान्य बच्चे की ही तरह खा-पी सकता है। बच्चा एक दिन का था जब उसे केजीएमयू लाया गया था। यह जानकारी पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. जेडी रावत ने दी है।
यह थी रेयर बीमारी
सिद्धार्थनगर निवासी अहद एक दिन का था। 22 मार्च 2017 को उसे केजीएमयू में इमरजेंसी के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया था। बच्चे को जन्म से ही आहार नली विकसित नहीं थी। डॉ. रावत ने कहा कि इस बीमारी को ईसोफजियल एट्रेसिया कहते हैं और यह बीमारी आठ से दस हजार बच्चों में से किसी एक को होती है।
बच्चा दो दिन का था जब किया पहला ऑपरेशन
ईसोफजियल एट्रेसिया केस में बच्चे को दूध पिलाने पर खांयी आ रही थी और दूध मुंह से बाहर आ रहा था। ऐसा भी हो सकता है कि दूध फेफड़े में चला जाए और बच्चे को निमोनिया का खतरा भी हो सकता था। डॉ. रावत ने कहा कि इस बच्चे का पहला ऑपरेशन 24 मार्च को किया गया जब वो दो दिन का था। ऑपरेशन कर अविकसित आहार नली को गले से बाहर किया गया। इसके बाद पेट में खाने की थैली में एक नली डाली गई। इस नली को गैस्ट्रास्टमी कहते हैं। गैस्ट्रास्टमी से बच्चे को हर दो घंटे में दूध पिलाया गया। ऐसा डेढ साल तक किया गया।
फाइनल ऑपरेशन में भोजन नलिका और नवनिर्मित ट्यूब को मिलाया
इसके बाद बच्चे को दोबारा इस साल 3 अप्रैल को भर्ती किया गया। इस बार में ऑपरेशन में पेट को उपयोग में लाने के लिए भोजन नलिका को बनाया गया। इसमें सीने के अंदर से लाकर गले तक लाया। फिर इसके एक माह के बाद एक मई को भोजन नलिका और नवनिर्मित ट्यूब को मिलाया गया। यह आखिरी ऑपरेशन था। इसका खर्च कुल मिलाकर 50 हजार रुपए के करीब आया है।
नया जीवन देने वाली टीम में ये थे शामिल
सर्जन टीम में डॉ. जेडी रावत, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. विपुल और एनेस्थीसिया टीम में डॉ. अनिता मलिक, डॉ. प्रेमराज, डॉ. सतीश वर्मा शामिल थे।