लखनऊ। क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक रोग है, जो कीटाणु के कारण होता है। भारत में वर्ष भर में दो लाख 80 हजार व्यक्ति टीबी से मरते हैं। प्रतिदिन के हिसाब से एक हजार व्यक्ति इस बीमारी से मरते हैं। हर साल 20 लाख टीबी के मरीज बढ़ते हैं।
ठीक हो सकता है मरीज
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. आरएएस कुशवाहा ने रविवार को बताया कि टीबी की बेहतर दवाओं के आने से अब नियमित इलाज में मरीज ठीक हो सकता है। बशर्ते मरीज दवाएं और इंजेक्शन नियमित लें। उन्होंने बताया कि सभी टीबी के मरीजों में पांच प्रतिशत टीबी रोगी एचआईवी पॉजिटिव के होते हैं। टीबी के 80 प्रतिशत मामले फेफड़े से संबंधित और 20 प्रतिशत शरीर के अन्य अंगों से संबंधित होते हैं।
सावधानी
डॉ. कुशवाहा ने बताया कि एक टीबी रोगी साल भर में 10 से 15 नये व्यक्तियों को संक्रमित कर देता है। 40 प्रतिशत लोग टीबी से संक्रमित हैं, लेकिन जब व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो यह बीमारी उभरती है। इसलिए इस बारे में जागरुकता जरूरी है। व्यक्ति को टीबी की आशंका होने पर तुरन्त डॉक्टरी जांच करानी चाहिए।
ब्रेन टीबी जानलेवा
पीजीआई लखनऊ न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सुनील प्रधान ने बताया कि टीबी सिर्फ फेफड़े तक सीमित नहीं है। बल्कि रीढ़ की हड्डी और दिमागी टीबी (ब्रेन टीबी) तक हो सकती है। दिमागी टीबी में सिर में दर्द, धुंधला दिखाई देना, थकान व उल्टी आदि इसके प्रमुख कारण हैं। ब्रेन टीबी बच्चों और बुजुर्गों में बहुत खतरनाक होती है। इसमें शरीर लकवाग्रस्त होने के साथ ही रोशनी जाने का खतरा अधिक होता है। मरीज कोमा में चला जाता है।
तंबाकू का सेवन बन सकता है टीबी का कारण
सिविल अस्पताल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक यादव ने बताया कि यदि आप शराब, बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू का सेवन नियमित कर रहे हैं तो संजीदा हो जाएं क्योंकि इससे टीबी की बीमारी का बैक्टीरिया जाग सकता है। शराब पीने वाले लोगों में टीबी होने का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होता है।
लक्षण
भूख न लगना, बुखार आना, वजन लगातार कम होना, जोड़ों में दर्द व सूजन।
इलाज
डॉॅ. कुशवाहा ने बताया कि समय से टीबी का पता चलने पर इसका इलाज आसानी से संभव है। व्यक्ति को पहली बार टीबी होने पर डाट्स के अन्तर्गत इलाज होने पर 6 से सात माह तक दवा चलती है। दूसरी बार होने पर 08 से 09 माह तथा कुछ विशेष प्रकार की टीबी होने पर साल भर दवा चलती है।