लखनऊ। सर्दियों में होने वाली बीमारियों की रोकथाम में होम्योपैथिक दवाइयां कारगर हैं। होम्योपैथिक दवाइयां शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर रोगों से बचाव करती हैं। यह बात उप्र होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. (डा0) बीएन सिंह ने कही। वे होम्योपैथिक साइन्स कांग्रेस सोसाइटी एवं इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेस के तत्वावधान में बाबा हास्पिटल के सभागार में शीतकालीन बीमारियां-कारण, बचाव एवं होम्योपैथिक प्रबन्धन विषय पर आयोजित जागरूकता संगोष्ठी में बोल रहे थे।
साफ-सफाई पर ध्यान दें : डॉ. अनुरूद्ध वर्मा
केन्द्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. अनुरूद्ध वर्मा ने बताया कि सर्दी, जुकाम, फ्लू आदि के संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान दें। गर्म तरल पदार्थ का सेवन करें तथा एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रयोग न करें। उन्होंने कहा कि इस मौसम में पर्याप्त सब्जियां, मौसमी फल एवं हल्का भोजन लें तथा पूरे कपड़े पहन कर ही घर से निकलें। उन्होंने बताया कि सूरज निकलने के बाद ही टहलने निकलें क्योंकि सुबह प्रदूषण ज्यादा होता है। गरम पानी के बजाय गुनगुने पानी से ही स्नान करना चाहिए।
हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा
उन्होंने कहा कि जाड़े के मौसम में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा रहता है इसलिए ठंडक से पूरी तरह बचाव जरूरी है। इस मौसम में ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखना चाहिए। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश बाजपेई ने बताया कि इस मौसम में वायु प्रदूषण ज्यादा होता है इसलिए अस्थमा, खांसी एवं अन्य सांस की समस्यायें ज्यादा बढ़ती हैं, इसलिए प्रदूषण, धूल-मिट्टी से बचें, अलाव न तापें तथा मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
पर्याप्त पानी पीयें
डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि जाड़े के मौसम में जोड़ों में दर्द जैसे- गठिया, आर्थराइटिस, पुरानी चोट में दर्द बढ़ सकता है इसलिए पर्याप्त कपड़े पहनें तथा गर्म तासीर वाला भोजन करें। डॉ. निशांत श्रीवास्तव ने बताया कि जाड़े के मौसम में त्वचा खुश्क हो जाती है, इसलिए पर्याप्त पानी पीयें। एडिय़ां फट जाती हैं इसलिए हमें मोजे पहने रहना चाहिए। त्वचा साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है।
निमोनिया, टांसिलाइटिस समस्या ज्यादा
डॉ. विनीता द्विवेदी ने बताया कि जाड़े के इस मौसम में बच्चों में निमोनिया, टांसिलाइटिस आदि की समस्यायें ज्यादा रहती हैं। इसलिए पर्या प्त कपड़े पहनाकर इससे बचाव किया जा सकता है। संगोष्ठी को डॉ. यूबी त्रिपाठी, डॉ. अवधेश द्विवेदी, डॉ. राजीव अग्रवाल, डॉ. दुर्गेश चतुर्वेदी, डॉ. एके शर्मा आदि ने अपने विचार प्रकट किये।