डेस्क। बढ़ रहे प्रदूषण के कारण अस्थमा रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अस्थमा सर्दियों का रोग है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। गर्मियों में अस्थमा रोगी दवाओं और कई आवश्यक सावधानी बरतने में लापरवाही कर देते हैं, जिस वजह से इस मौसम में अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जो आगे चलकर अस्थमा रोगियों के लिए दिक्कत खड़ी कर सकता है।
प्रदूषण से व्यक्ति के गले व नाक में संक्रमण हो सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। चिलचिलाती धूप से आने के बाद बच्चे तुरंत ठंडा पानी या आइसक्रीम, बर्फ के गोले अन्य आदि खा लेते हैं, जिससे खांसी, कफ व गले का इंफेक्शन हो जाता है। अस्थमा मरीज को इंफेक्शन के कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और कई बार स्प्रे का इस्तेमाल करना पड़ता है।
इस मौसम में हम लोग जरा सी गर्मी लगने पर एयर कंडीशन या अन्य माध्यम से शरीर को ठंडा रखते है, वहीं अस्थमा रोगी के अचानक से गर्म से एकाएक ठंड या ठंड से एकाएक गर्म में जाने से एलर्जी हो सकती है, जिससे अस्थमा अटैक की संभावना बढ़ सकती है। ऐसा करने से बचें।
गर्मी में धूल और प्रदूषण ज्यादा उडऩे व्यक्ति एलर्जी के साथ-साथ अस्थमा का शिकार भी हो सकता है, वहीं अस्थमा रोगी को कई दिक्कतें आ सकती हैं। इस समस्या से बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
मौसम बदलने से इंफेक्शन की समस्या रहती है, जिससे अस्थमा की समस्या भी बढ़ सकती है।