लखनऊ। रविवार को एपसिकॉन-2018 के अंतिम दिन केरल के कोजीकोड (कालीकट) प्रो. शीजा राजन ने चिकित्सा प्रशासन व चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए अपने विचार रखें। उन्होंने बताया कि सीनियर डॉक्टर ओपीडी में बैठकर मॉनीटरिंग करके देखे और जूनियर को सुझाव दें। मरीज से बेहतर संवाद स्थापित करें।
1000 से भी अधिक शोध-पत्र
पढ़ाई के दौरान व्यावसायिक शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे शैक्षिक विकास के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी विकसित की जा सके। आयोजन समिति के सचिव डॉ. राज कुमार मिश्रा ने कार्यक्रम के समापन अवसर पर बताया कि इस 5 दिवसीय कांफ्रेंस में देश-विदेश के 750 से भी अधिक प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञों ने 1000 से भी अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किये।
नई तकनीक की सर्जरी की बारीकियों पर चर्चा
एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन्स ऑफ इंडिया की ओर से फैजाबाद रोड स्थित एक रिजॉर्ट में 21 नवंबर से शुरू हुए पांच दिवसीय एपसिकॉन-2018 का समापन रविवार को हुआ। इस दौरान तमाम नई तकनीक की सर्जरी की बारीकियों पर चर्चा की। डॉ. आदर्श कुमार ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा को कैसे व्यवहारिक बनाया जाए। स्किल कैसे डेवलेप किया जाए। पैरामेडिकल, डॉक्टर और कर्मचारियों के बीच पीजी कोर्स के साथ ट्रेनिंग दी जाए।
उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि देश में कई जगह पर देखा गया है कि विशेषज्ञ डॉक्टर को ऐसी जगह तैनात कर दिया जाता है कि वहां उसकी कोई उपयोगिता नहीं रहती। यानी कि उसकी विशेषता पंगु हो जाती है, क्योंकि तैनाती वाली जगह पर विशेषता वाला काम नहीं होता। इसलिए शासन-प्रशासन को विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
चुनाव में ये चुने गए
एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन्स ऑफ इंडिया का चुनाव हुआ। इसमें मेदांता मेडीसिटी गुरुग्राम, गुडग़ांव के चेयरमैन डॉ. राकेश खजांची को निर्वाचित अध्यक्ष बनाया गया। सचिव पद पर केजीएमयू के पूर्व एमएस और प्लास्टिक सर्जन डॉ. विजय कुमार को सचिव चुना गया। पीजीआई के प्लास्टिक सर्जन डॉ. अंकुर भटनागर को कार्यकारिणी सदस्य चुना गया।