लखनऊ। मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी मांगों पर कार्रवाई ना होने से नाराज प्रदेश भर में राजकीय चिकित्सालयों, मेडिकल कॉलेजों, स्वास्थ्य केंद्रों, कारागार में तैनात फार्मासिस्टों ने डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के बैनर तले गुरुवार को एकजुट होकर प्रदेश के 75 जिलों में दो घंटे का कार्य बहिष्कार किया।
सोमवार से बेमियादी हड़ताल
इस दौरान मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मरीज और तीमारदार को दवा लेने के लिए लम्बे समय का इंतजार करना पड़ा। शनिवार को माह के दूसरे शनिवार को सभी फार्मासिस्ट अवकाश का सामूहिक उपभोग करेंगे और उसके बाद सोमवार (10 दिसम्बर) से बेमियादी हड़ताल किया जाएगा। परिषद के अध्यक्ष अतुल मिश्र ने कहा है कि मांगें पूरी न किये जाने की स्थिति में फार्मासिस्टों की 10 दिसम्बर से प्रस्तावित हड़ताल को पूरा समर्थन दिया गया है। हड़ताल में प्रदेश भर के कर्मचारी शामिल होंगे।
पहले किया था घेराव
आपको बता दें कि 14 सूत्रीय मांगों के समर्थन में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश द्वारा 15 नवम्बर को महानिदेशालय का घेराव किया था। अब तक कोई वार्ता, निर्णय या ठोस कदम नहीं हुई है। इससे फार्मासिस्टों में रोष व्याप्त है। शहरी क्षेत्रों के चिकित्सालयों में सुबह 8 से 10 बजे तक तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह 10 से 12 बजे तक कार्य बहिष्कार किया गया है।
ये है मांगे
संघ की वेतन विसंगति की रिपोर्ट शासन में लंबित है। इसके कारण सम्मानजनक वेतन नहीं मिल रहा, समझौते के अनुसार प्रत्येक जिले में जिला फार्मेसी अधिकारी के पद सृजित होने थे, 28 विशेष कर अधिकारी, 4 संयुक्त निदेशक के पदों के सृजन पर भी शासन और महानिदेशालय स्तर पर सहमति बन चुकी है जिसकी कार्यवृति फाइलों में धूल खा रही है। विभाग में पदोन्नति के पदों को बढ़ाकर पिरामिड ठीक करने की सहमति बन चुकी है लेकिन लगभग 10 साल बीतने के बाद भी इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे अधिकांश फार्मेसिस्ट अपने मूल पद से सेवानिवृत्त हो जाते हैं उनकी पदोन्नति नहीं हो पाती।
तकनीकी डिप्लोमा के बावजूद फार्मेसिस्ट को अभी भी प्रारंभिक ग्रेड पे 2800 ही मिल रहा है, जबकि अन्य समकक्ष कर्मियों को 4200 या 4600 ग्रेड पे दिया जा चुका है। प्राप्त हो रहे भत्तों का वर्षों से पुनरीक्षण नहीं हुआ। पेशेंट केयर भत्ता प्रदेश में नही दिया गया। पदों का पुनर्गठन नहीं हो रहा, मानक निर्धारण, पदों का सृजन लंबित है, ट्रामा सेंटरों में अभी तक फार्मेसिस्ट के एक भी पद सृजित नहीं हुए, उच्च पदों का सृजन भी नहीं हो रहा है जिससे पदोन्नति नहीं हो पा रही, नियुक्ति प्रक्रिया भी बाधित है।