लखनऊ। आज की भाग दौड़ वाले जीवन में, आगे निकलने की होड़ ने एक नयी स्वास्थ्य समस्या को जन्म दिया है और वह है मानसिक तनाव। यह तनाव न केवल हमें ही प्रभावित करता है बल्कि हमारे आस-पास रहने वाले लोग, परिवार के सदस्य भी इससे प्रभावित होते हैं। तनाव अन्य कई तरह की बीमारियों जैसे उच्च या निम्न रक्तचाप, माइग्रेन, चिड़चिड़ापन, हृदय से जुड़ी समस्याओं को जन्म देता है। कभी-कभी तो यह स्थिति हो जाती है कि व्यक्ति आत्महत्या भी कर लेता है। इसलिए हमें इस बात के लिए लोगों को जागरूक करना है कि तनाव किसी भी समस्या का हल नहीं है।
जागरुकता सप्ताह मानाने के निर्देश
उक्त बातें सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने कही। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल पूरे विश्व में 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस सम्बन्ध में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. पद्माकर सिंह ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र जारी कर मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह मानाने के लिए निर्देश दिया है। डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया मानसिक स्वास्थ्य जागरुकता सप्ताह अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस वर्ष इसकी थीम है- आत्महत्या को रोकने के लिए मिलकर काम करें।
आत्महत्या के जिम्मेदार अभिवावक
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आरके चौधरी ने बताया इस दिवस की थीम के अनुसार हमारा फोकस आत्महत्या पर ही रहेगा। तनाव से न केवल वयस्क ही ग्रस्त हैं बल्कि आजकल बच्चे भी इसकी चपेट में आ गये हैं। अक्सर अखबारों में बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें पढऩे में आ रही हैं। इसका मुख्य कारण अभिभावकों द्वारा बच्चों पर अच्छे नंबर लाने के लिए व अपने साथियों से आगे निकलने के लिए दबाव डालना है। शिक्षकों व अभिभावकों को बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार ही आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए न कि अपनी इच्छाओं व सपनों को उनपर थोपना चाहिए। अभिभावकों को अपने बच्चों की तुलना उनके सामने नहीं करनी चाहिए। डॉ. चौधरी ने बताया कि आजकल मोबाइल व सोशल मीडिया भी तनाव का एक मुख्य कारण है। युवा वर्ग इनका आदी हो रहा है जिसके कारण, तनाव, अवसाद जैसी बीमारियों कि चपेट में आ रहा है।
70 स्कूलों के शिक्षकों का प्रशिक्षण
इन सभी मुद्दोंको ध्यान में रखते हुये जिले में लगभग 70 स्कूलों के नोडल शिक्षकों का प्रशिक्षण 9 अक्टूबर को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में आयोजित किया जाएगा। 70 स्कूलों में 50 प्रतिशत सरकारी स्कूल व 50 प्रतिशत प्राइवेट स्कूल के शिक्षक प्रतिभाग करेंगे। शिक्षकों को यह प्रशिक्षण मानसिक विकारों से ग्रसित ऐसे बच्चों की पहचान करने के दिया जाएगा ताकि उनका उपचार समय से हो सके। साथ ही स्कूलों में हेल्थ क्लब का गठन कर ऐसे बच्चों को लाइफ स्किल ट्रेनिंग भीदी जायेगी।
35 करोड़ से अधिक लोग मानसिक अवसाद
10 अक्टूबर को सिटी मोंटेसरी स्कूल, गोमती नगर में बच्चों के साथ ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। 11 अक्टूबर को दिलकुशा गार्डेन में दुआ से दवा कार्यक्रम तथा 12 अक्टूबर सरोजिनी नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में विशाल मानसिक विकलांगता स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार 1992 में मनाया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन और वल्र्ड फेडरेशन ऑफ मेंटल हेल्थ द्वारा मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने और अपने मन का आत्मनिरीक्षण करके अपने व्यक्तित्व के विकारों और मानसिक विकृतियों को सक्रिय रूप से पहचानने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्यदिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में लगभग 35 करोड़ से अधिक लोग मानसिक अवसाद से ग्रस्त हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं।
सर्वे से मिली सब जानकारी
नेशनल मेंटल हैल्थ सर्वे ऑफ इंडिया (2015-16) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 16 में से एक व्यक्ति मानसिक विकार से ग्रस्त है। निम्न आय वर्ग के सबसे ज्यादा लोग मानसिक विकार से ग्रसित हैं, जिसमें प्रत्येक 10 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीडि़त है। सामान्य मानसिक विकार महिलाओं व अधेड़ आयु के लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है है। 40-50 वर्ष की आयु की महिलाओं में जैविकीय परिवर्तन होने के कारण मानसिक विकारों जैसे डिप्रेशन, एंज़ाइटी से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा होती है। 18 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 2 करोड़ लोग ( तंबाकू संबंधी विकार सहित) मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं। जिसमें सामान्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याए जैसे एंजाइटी व डिप्रेशन वौर मादक पदार्थ उपयोग संबंधी विकार प्रमुख हैं। लगभग 0.5 फीसदी लोग एपिलेप्सी (मिर्गी) व बौद्धिक विकलांगता से प्रभावित हैं। सर्वेक्षण के अनुसार शहरी मेट्रो में रहने वाले युवा पुरुष गंभीर बीमारियों जैसे शिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित हैं।