लखनऊ। एक शोध में दावा किया गया है कि एक्युट-ऑन-क्रॉनिक लिवर फेल्योर बीमारी का जिम्मेदार कौन है। शोध में बताया गया है कि दवाएं भी जिम्मेदार हैं। यह बीमारी सिर्फ वायरस, संक्रमण या शराब के सेवन से ही नहीं होती। यह शोध संजय गांधी पीजीआई व विश्व के अन्य चिकित्सा संस्थानों द्वारा किया गया है।
… तो 90 दिनों में हो जाती है मौत
शोध की मानें तो धिक दवाओं के सेवन से होने वाले लिवर फेल्योर में 90 दिनों के भीतर मरीज की मौत भी हो सकती है। शोध में पाया गया कि ड्रग इंड्यूज्ड एक्यूट-ऑन-क्रॉनिक लिवर फेल्योर में संक्रमण, शराब व एल्कोहल के द्वारा हुए लिवर फेल्योर के मुकाबले मौत की आशंका काफी पहले और अधिक पाई गई।
यह दवाएं हैं जिम्मेदार
शोध में पाया गया कि दवाओं के सेवन से होने वाले लिवर फेल्योर (ड्रग इंड्यूज्ड एक्यूट-ऑन-क्रॉनिक लिवर फेल्योर) में एंटीट्यूबरकुलोसिस थेरेपी ड्रग्स (टीबी के इलाज में चलने वाली दवाएं), स्टीटोहैपाटाइटिस व अन्य लिवर की बीमारियों में चलने वाली दवाएं व अधिक दवाओं का सेवन इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं।