लखनऊ। शरीर में खून की कमी को एनीमिया कहा जाता है। खून की कमी से हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमता प्रभावित होती है। गर्भवती महिला एनीमिया से ग्रस्त है और वह इसका उपचार नहीं करवाती है, तब इसका परिणाम यह होता है कि प्रसव के दौरान उसकी स्थिति गंभीर हो जाती है जिसके कारण उसकी मौत भी हो सकती है या कम वजन का बच्चा पैदा हो सकता है।
इसका रखें ध्यान
नवजात में हीमोग्लोबिन की कमी रहती है और यह समस्या धात्री महिला और बच्चे में बढ़ती जाती है। 6 माह के बाद समय से ऊपरी आहार न शुरू करने व आयरनयुक्त भोजन/आयरन सप्लीमेंट न लेने पर यह समस्या और बढ़ती है। किशोरावस्था में यह स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है क्योंकि इस समय शारीरिक व मानसिक विकास तेजी से होता है। यही एनीमिक किशोरी आगे चलकर मां बनती है।
बचाव के लिए इनका करें सेवन
सभी उम्र के लोगों में एनीमिया की जांच व पहचान किया जाना जरूरी होता है। देश में सितम्बर माह पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा पोषण अभियान के तहत जारी की गयी पोषण पुस्तिका में एनीमिया से बचाव के लिए हमें आयरनयुक्त पदार्थ जैसे हरी, पत्तेदार सब्जियों, पालक, मेथी, दालें, दूध, दही, पनीर आदि का सेवन करना चाहिए। यदि मांसाहारी हैं तो अंडा, मांस व मछली का भी सेवन करना चाहिए। खाने में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे नींबू, आंवला, अमरूद जैसे खट्टे फलों का सेवन करना चाहिए, जो कि आयरन के अवशोषण में मदद करते हैं।
बच्चे की गर्भनाल 3 मिनट के बाद ही काटें
पोषण पुस्तिका के अनुसार 6 से 59 माह के बच्चों को हफ्ते में 2 बार 1 मिलीलीटर (मि.ली.) आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) सिरप देना चाहिए। 5-9 वर्ष के बच्चों को आईएफए की एक गुलाबी गोली का सेवन करना चाहिए। 10-19 वर्ष ताकी कि उम्र में हफ्ते में एक बार आईएफए कि नीली गोली खानी चाहिए। गर्भवती महिला को गर्भावस्था के चौथे माह से रोज 180 दिन तक आईएफए की एक लाल गोली का सेवन करना चाहिए। धात्री महिला को प्रसव के बाद 180 दिन तक आईएफए की एक लाल गोली का नियमित सेवन करना चाहिए। साथ ही पेट में कृमिनाशक दवा एल्बेण्डाजोल की निर्धारित खुराक लेनी चाहिये। जन्म के बाद बच्चे की गर्भनाल 3 मिनट के बाद ही काटें। इससे नवजात बच्चे के खून में आयरन की मात्रा बनी रहती है।