लखनऊ। किडनी रोग को शुरुआत में ही दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। आज के समय में जीवनशैली में परिवर्तन होने से मधुमेह और हृदय रोग की समस्या बढ़ती जा रही है। जागरुकता, समय पर निदान और जल्द उपचार ही गुर्दे की बीमारी के निवारण के ये तीन बहुमूल्य यंत्र हैं। उक्त विचार गुरुवार को गुर्दा दिवस के उपलक्ष्य में जागरुकता संगोष्ठी आयोजन के दौरान एसजीपीजीआई के डॉक्टरों ने व्यक्त किए। यह संगोष्ठी संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित किया गया था।
करवाएं ये जांच
इस दौरान संंस्थान के निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। निदेशक ने कहा कि मूत्र संक्रमण होने से गुर्दे में खराबी हो सकती है। उन्होंने कहा कि आप शारीरिक रूप से मोटे हैं या धूम्रपान करते हैं, मधुमेह है, उच्च रक्तचाप रहता है, 50 साल की आयु पार कर चुके हैं तो आपको गुर्दे से संबंधित बीमारी के लिए दो साधारण की जांच जैसे- पेशाब में एल्यूब्युनि की मात्रा, खून में सीरम क्रियेटिनाइन और जीआरएफ की जांच करवाएं। इस दौरान पीजीआई में विश्व गुर्दा दिवस पर रैली निकाली गई। इस रैली में संस्थान के चिकित्सक, कर्मचारी और अन्य लोगों ने भाग लिया।
संगोष्ठी के दौरान नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गुप्ता, डॉ. नारायन प्रसाद, डॉ. अनीता सक्सेना, डॉ. अनुपमा कौल, डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया, डॉ. मानस पटेल, डॉ. मोनिका याचा, डॉ. रवि शंकर कुशवाहा, डॉ. मानस रंजन बहेरा, डॉ. संजय सुरेका और डॉ. प्रियांक यादव ने अपने विचार रखे।