बच्चे के पैदा ही टीके या वैक्सीन लगने शुरू हो जाते हैं। बच्चे को समय पर टीका जरूर लगवाएं। समय पर टीका ना लगवाने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाती है जिससे असर कम होता है। टीके या वैक्सीन लगवाने का समय तय होता है जैसे कौनसा टीका किस उम्र में लगेगा। उसी समय पर टीका लगवाना प्रभावी होता है।
मां को टीके लगवाने से शिशु भी सुरक्षित
गर्भवती को भी समय से टीके लगने चाहिए। मां का वैक्सीनेशन समय से हो तो गर्भ में पल रहा शिशु भी सुरक्षित रहता है। गर्भनाल के रास्ते इम्युनिटी शिशु के शरीर में जाती है। यही वजह है कि मां को टिटनेस का टीका लगे तो शिशु जन्म के छह सप्ताह बाद तक टिटनेस से सुरक्षित रहता है। शिशु को इसका पहला इंजेक्शन छह माह की उम्र में लगाया जाता है।
कैचअप शेड्यूल प्रभावी
किसी कारणवश टीके से वंचित बच्चों को कैचअप शेड्यूल में टीके लगवाने चाहिए ताकि उनकी इम्युनिटी बढ़ सके व रोगों से बचाव हो। दूषित क्षेत्रों में रहने वाले, कुपोषित, वजन कम, अस्थमा, रायनाइटिस, किडनी या हृदय रोग से पीडि़त बच्चों को टीके जरूर लगवाएं।
मां की लोरी से दिमाग शुरू कर देता है विश्लेषण प्रक्रिया
मां की लोरी बच्चे के दिमाग के दो प्रमुख हिस्सों पर सकारात्मक असर डालती है। पहला, ध्वनि सुनकर विश्लेषण करने वाला भाग। दूसरा, संगीत के कारण भावनात्मक असर होने वाला हिस्सा। इसे मेडिकली ‘म्यूजिकल लर्निंगÓ कहते हैं। मां की आवाज सुनकर बच्चा बेहद खुश होता है।