लखनऊ। आईएलडी करीब 200 बीमारियों का समूह है। जिसे लोग अस्थमा, तथा टीबी समझ लेते हैं। इसे आम बोलचाल की भाषा में फेफड़े की सिकुडऩे की बीमारी कहते हैं। इस बीमारी के करीब 50 लाख मरीज तथा भारत में करीब 10 लाख मरीज है।
यह बात सोमवार को नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग, केजीएमयू के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने इन्डियन चेस्ट सोसाइटी (यूपी चैप्टर), किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पाइरेटरी मेडिसिन विभाग और लखनऊ चेस्ट क्लब के संयुक्त प्रयास से आयोजित ‘आईएलडी कॉन्क्लेव 2019Ó में दी।
हाई रेजूलेशन सीटी थोरैक्स या फिर बायप्सी से जांच
आईएलडी की जांच हाई रेजूलेशन सीटी थोरैक्स या फिर बायप्सी से की जाती है। इस कॉन्क्लेव में देश के प्रतिष्ठित चिकित्सकों ने भाग लिया। डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि आईएलडी के प्रमुख लक्षण सांस फूलना तथा सूखी खांसी आना है। इस बीमारी का प्रमुख कारण धूम्रपान, पर्यावरण प्रदूषण, पशु-पक्षियों के पास रहना (एक्पोजर) आदि है।
यह कहा चिकित्सकों ने
उन्होंने बताया कि इस बीमारी को समाप्त करने के लिए कोई दवा नहीं खोजी जा सकी है, अभी मौजूद दवाओं से सिर्फ इस प्रक्रिया को धीमा किया व रोका जा सकता है। डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि इस बीमारी की डायग्नोसिस होने के बाद पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन यानी सांस लेने की प्रक्रिया में आने वाली बाधाओं को दूर रखना महत्वपूर्ण है।
इन्होंने व्यक्त किए विचार
इसी क्रम में मेट्रो हॉस्पिटल नोएडा के निदेशक डॉ. दीपक तलवार ने आईएलडी के आधुनिक उपचार तथा आधुनिक दवाइयों के बारे में विस्तार से बताया। इन्डियन चेस्ट सोसाइटी (यूपी चैप्टर) के सचिव डॉ. एके सिंह ने आईएलडी के कारण तथा उनके निवारण के बारे मे अपने विचार व्यक्त किये। एसजीपीजीआई लखनऊ से आये डॉ. आलोक नाथ ने आईपीएफ के वर्तमान निदान पर प्रमुखता से प्रकाश डाला। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्से से इस कार्यक्रम में आये कई अन्य डाक्टरों जैसे डॉ. रितु कुलश्रेष्ठ, डॉ. मालविका गोयल, डॉ. राजेश गोथी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
ये थे मौजूद
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. मधुमती गोयल, डॉ. एसके वर्मा, डॉ. सन्तोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. दर्शन कुमार बजाज, डॉ. मनोज पाण्डेय तथा अन्य रेजीडेन्ट्स भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विभाग की सीनियर रेजीडेन्ट डॉ. ज्योति बाजपेई ने किया। पर्यावरण को बचाने की अपनी मुहिम में लगे डॉ. सूर्यकांत ने इस कार्यक्रम में भी गुलदस्ते की जगह पौधे भेंट किए।