डेस्क। डायबिटीज के मरीजों की संख्या पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। डायबिटीज के मरीज अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि क्या इस रोग में गुड़ खाया जा सकता है।
आयुर्वेद में गुड़ के जितने गुण बताए गए हैं उनके अनुसार ये मीठी चीजों का सबसे सुरक्षित और बेहतर विकल्प है। इसमें कई ऐसे एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई गंभीर रोगों से बचाते हैं। इसकी प्रॉसेसिंग चीनी से कम होती है इसलिए इसका रंग भी भूरा होता है और इसमें कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे पोटैशियम, कैल्शियम और आयरन सुरक्षित रहते हैं। जिस तरह व्हाइट राइस की जगह ब्राउन राइस को हेल्दी माना जाता है, व्हाइट ब्रेड की जगह ब्राउन ब्रेड को हेल्दी माना जाता है उसी तरह लोग समझ सकते हैं कि चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग सुरक्षित है। डायबिटीज के रोग में इसे चीनी तरह नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां तक कि आयुर्वेद में भी मधुमेह के लिए गुड़ को सुरक्षित नहीं माना गया है।
गुड़ पोषक तत्वों से भरपूर होने के बावजूद डायबिटीज के मरीजों के लिए सुरक्षित नहीं है। गुड़ शरीर में चीनी से धीरे घुलता है। डायबिटीज का एक मरीज गुड़ और एक मरीज चीनी एक ही समय पर खाते हैं तो एक घंटे बाद चीनी खाने वाले मरीज का ब्लड शुगर जितना होगा गुड़ खाने वाले मरीज का शुगर लेवल उससे कम होगा। जबकि लगभग दो घंटे बाद दोनों का शुगर लेवल बराबर हो जाएगा। गुड़ का प्रयोग डायबिटीज के मरीज के लिए इसलिए भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि डायबिटीज के मरीजों को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स खाने की सलाह दी जाती है जबकि गुड़ हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आहार है। गुड़ में 65 से 85 प्रतिशत तक सुक्रोज होता है।