गोरखपुर। शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन सवास्थ्य विभाग की अनदेखी सरकार के प्रयासों पर पानी फेर रहा है। ताजा मामला गोरखपुर मंडल का सामने आया है। यहां जिले में मासूमों पर पीलिया का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस घातक बीमारी को राकने वाला टीका हेपेटाइटिस-बी का जीरो डोज नहीं है।
27 हजार मासूम खतरे की जद में
मंडल में करीब 27 हजार मासूम खतरे की जद में आ गए हैं। जिसमें से 10 हजार सिर्फ जिले के मासूम हैं। इतना ही नहीं अस्पताल में नवजातों को टीबी से बचाव के लिए लगाए जाने वाले बीसीजी के टीके भी खत्म होने की कगार पर पहुंच गए है। स्वास्थ्य विभाग शिशु-मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में रूटीन टीकाकरण अभियान संचालित किया जाता है। इसी के तहत जन्म से 24 घंटे के अंदर नवजात को हेपेटाइटिस-बी का जीरो डोज टीका लगाया जाता है।
सीएचसी-पीएचसी में भी वैक्सीन खत्म
यह टीका पिछले एक महीने से अस्पतालों में खत्म है। सीएचसी-पीएचसी में भी यह वैक्सीन खत्म है। इसके कारण नवजातों को टीका नहीं लग पा रहा है। जिले के सरकारी अस्पतालों में पिछले एक महीने में जन्म लेने वाले 10 हजार नवजातों को यह टीका नहीं लगा है। कुछ सामथ्र्यवान लोगों ने प्राइवेट अस्पतालों में जाकर यह टीका नवजात को लगवाया है।
मंडल के सरकारी अस्पतालों में गायब है वैक्सीन
ऐसा नहीं है कि वैक्सीन की कमी का संकट सिर्फ गोरखपुर में ही है। मंडल के देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज में भी सरकारी अस्पतालों में हेपेटाइटिस-बी की वैक्सीन नदारद है। इन तीन जिलों के करीब 17 हजार इस टीके से महरूम हैं।
इतने दिन की बची बीसीजी
हेपेटाइटिस के साथ ही नवजातों पर टीबी (ट्यूबर क्लोसिस) का भी खतरा मंडरा रहा है। इस बीमारी से बचाव के लिए लगने वाला बीसीजी (बेसिल कालमेट ग्युरिन) टीका भी खत्म होने के कगार पर है। इस टीका की सिर्फ पांच दिन की खुराक ही बची हुई है।
यह कहा अधिकारी ने
इस मामले में एडिशनल सीएमओ व प्रभारी प्रतिरक्षण डॉ. आईवी विश्वकर्मा ने कहा कि यह सही है कि सरकारी अस्पतालों में वैकसीन नहीं लग रही है। इसकी वजह है वैक्सीन का संकट। अपर निदेशक स्टोर और महानिदेशक स्टोर में यह वैक्सीन मौजूद नहीं है। जब वैक्सीन मिलेगी तभी मरीजों को लगाई जा सकेगी।