लखनऊ। प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में मानव आपूर्ति के लिए 6 मार्च 2019 को 7 सेवा प्रदाता फर्मों को चयनित किया गया था। जिसमें फर्मों द्वारा नियुक्ति तथा रजिस्ट्रेशन के नाम पर करोड़ों रुपये धन उगाही की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई थी। इसकी खबर सोशल मीडिया तथा प्रिंट मीडिया में हफ्ते भर तक विभिन्न जिलों में चलता रहा और मामले में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक कार्यालय में तैनात सहायक लेखा अधिकारी डॉक्टर सचिन गुप्ता को कार्यालय से हटा दिया गया था।
प्रिंसिपल मुकेश यादव से अनुबंध
6 मार्च 2019 को अनुबंधित किए गए फर्म मेसर्स लॉयल्टेक मैनेजमेंट सर्विसेज लखनऊ को इलाहाबाद और बांदा मेडिकल कॉलेज का कार्य दिया गया था। मगर कई शिकायती पत्र के कारण लॉयल टेक मैनेजमेंट को इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज का कार्य नहीं मिल सका। लॉयलटेक मैनेजमेंट सर्विसेज के द्वारा बांदा मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल मुकेश यादव से अनुबंध करके मेडिकल कॉलेज का कार्य ले लिया गया। शासन द्वारा केवल 28 पैरामेडिकल कर्मचारियों की तैनाती का अनुबंध करने के बाद भी प्रिंसपल ने पूर्व से कार्यरत लगभग 300 कर्मचारियों को लॉयलटेक मैनेजमेंट में समाहित करने का फैसला कर लिया तथा सभी कर्मचारियों से जबरन लॉयल टेक मैनेजमेंट का रजिस्ट्रेशन करवा दिया।
डिमांड ड्राफ्ट की मांग, शिकायत पर अटेंडेंस रोक दिया
कर्मचारी अपनी नौकरी बचाने के लिए रजिस्ट्रेशन को तैयार हो गए मगर प्रत्येक कर्मचारी से सेवा प्रदाता फर्म द्वारा 590 रुपये पंजीकरण शुल्क के अलावा प्रति कर्मचारी 15000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट की मांग की जिससे कर्मचारियों में काफी नाराजगी हुई और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी जिनका वेतन 4800 रुपये प्रतिमाह था वह कर्मचारी 15000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट देने में सक्षम नहीं थे। कर्मचारियों ने प्रिंसिपल से इसकी शिकायत की तो उनका अटेंडेंस रोक दिया गया। कर्मचारियों से नौकरी के नाम पर पैसा भी मांगा जा रहा है। कर्मचारियों के विरोध करने पर प्रिंसिपल ने कर्मचारियों का रजिस्टर हटा दिया तथा उनका 4 माह का उपस्थिति प्रमाणित नहीं की जिस कारण से पिछले 4 माह का वेतन कर्मचारियों को नहीं मिल सका।
नौकरी से निकालने की धमकी
कर्मचारियों ने अवगत कराया है कि लॉयल टेक मैनेजमेंट सर्विसेज के आदमी प्रिंसिपल कार्यालय में बैठकर कर्मचारियों का पंजीकरण करते हैं और पैसे की मांग करते हैं। वेतन ना मिलने के कारण लॉयल टेक मैनेजमेंट और प्रिंसिपल की मिलीभगत से तंग आकर 7 अक्टूबर से पैरामेडिकल स्टाफ ने कार्य बहिष्कार किया जिसके बाद भी प्रिंसिपल ने कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है। गलत तरीके से लॉयलटेक मैनेजमेंट सर्विसेज को काम दिए जाने की शिकायत कई जनप्रतिनिधियों द्वारा भी की जा चुकी है।
ये की है मांग
संयुक्त स्वास्थ आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ द्वारा बांदा मेडिकल कॉलेज प्रशासन एवं लोयलटेक मैनेजमेंट सर्विसेज के खिलाफ प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, मंत्री चिकित्सा शिक्षा, से शिकायत की है तथा मामले में प्रिंसिपल से बात भी की है। मांग किया गया है कि सभी कर्मचारियों को उनका वेतन भुगतान करते हुए प्रत्येक माह में सप्ताहिक अवकाश दिए जाने एवं लॉयल टेक मैनेजमेंट सर्विसेज को केवल 28 कर्मचारियों की तैनाती किए जाने की मांग की है।
50 लाख रुपये की अवैध वसूली
पूर्व शिकायत में पिछले दो माह से शासन के उच्चाधिकारियों द्वारा मेडिकल कॉलेजों में आउटसोर्सिंग नियुक्तियों में मनमानी तथा भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई और एजेंसी वाले अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों में मनमाने तरीके से कर्मचारी तैनात कर रहे हैं। सभी कर्मचारियों को समय से वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। इस प्रकार चिकित्सा जैसे महत्वपूर्ण विभाग के कर्मचारियों की उपेक्षा वर्तमान सरकार द्वारा की जा रही है और लायल टेक मैनेजमेंट द्वारा बांदा मेडिकल कॉलेज से ही प्रति कर्मचारी रुपया 15 से 20000 के डिमांड ड्राफ्ट के अनुसार लगभग 50 लाख रुपये की अवैध वसूली हो रही है।
कोई कार्रवाई नहीं
प्रिंसिपल से शिकायत के बाद भी लॉयल टेक के खिलाफ ना तो कोई कार्रवाई करने को तैयार है और ना ही किसी कर्मचारी या संगठन पदाधिकारियों की बात सुनने को तैयार है। अब मामले में उच्च स्तरीय कार्रवाई की मांग शासन से की जा रही है।