डेस्क। काम का दवाब, सहकर्मियों का दवाब और कठिन बॉस, ये सभी मिलकर लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रहे हैं। जबकि भारत में करीब 46 फीसदी नौकरीपेशा लोग तनाव से जूझ रहे हैं। यह तनाव निजी कारणों, कार्यालय की राजनीति या काम के बोझ के कारण है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां मेटाबोलिक सिंड्रोम के मामले बढ़ रहे हैं, जिसमें मधुमेह, उच्च यूरिक एसिड, उच्च रक्त चाप, मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल (भारत में) शामिल है। बताया गया है कि अवसाद, थकान और नींद विकार ऐसी स्थितियां या जोखिम है, जो अक्सर पुरानी बीमारियों से जुड़ी होती है और उत्पादकता पर सबसे बड़ा प्रभाव डालती है।