आज के समय में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हर साल भारत में 14 लाख ब्रेस्ट कैंसर के नए मरीजों की पहचान होती है। इससे करीब पांच लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। इसी संख्या को कम करने के लिए हर वर्ष ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है।
सावधानी बरतें
महिलाओं में किसी भी में उम्र बे्रस्ट कैंसर की आशंका हो सकती है। इसके कारण जानना जरूरी है। 25-30 वर्ष की उम्र के बाद हर माह पीरियड्स के बाद ब्रेस्ट की खुद जांच करनी चाहिए। इस बारे में विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं। इसके प्रमुख कारणों में आनुवांशिक, एस्ट्रोजन का अधिक स्तर, हार्मोन थैरेपी हैं। अनियमित दिनचर्या व जंकफूड आदि आशंका बढ़ाते हैं।
लक्षण पहचानें
बे्रस्ट के आकार व स्थान में बदलाव, किसी प्रकार की गांठ जैसा महसूस होना। निप्पल का अंदर की ओर धंसना व इनसे रिसाव होना अहम लक्षण हैं। शुरुआती अवस्था में पहचान से इलाज आसानी से हो सकता है।
फैमिली हिस्ट्री है तो विशेष सावधानी बरतें
महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उस अनुसार एक स्वस्थ महिला को भी समय-समय पर प्रमुख स्क्रीनिंग और जांचें करा लेनी चाहिए। विशेषकर जिनमें इस रोग की फैमिली हिस्ट्री है उन्हें 35 वर्ष के बाद ही जरूरी चेकअप कराने चाहिए। इसमें अल्ट्रासाउंड, एमआरआई, मैमोग्राफी, क्लीनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन और माह में एक बार ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन शामिल है। जब तक कोई गांठ लोकलाइज यानी किसी एक निश्चित जगह या शुरुआती स्टेज में है उसका इलाज संभव है। एडवांस्ड स्टेज में रोग अन्य अंगों में फैल सकता है।
इस पर ध्यान दें
21 वर्ष की उम्र बाद हर साल ब्रेस्ट के क्लीनिकल चेकअप की सलाह दी जाती है।
40 वर्ष के बाद हर 2 साल के गैप में मैमोग्राफी जांच जरूरी है।
50 की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राफी जांच करानी चाहिए।