लखनऊ। कैंसर का नाम सुनते ही हम परेशान हा जाते हैं। सही समय पर सही इलाज हमें नया जीवन दे सकती है। कैंसर कोई एक ही दिन में होने वाली बीमारी नहीं है। आज हम आपको इस लेख में ब्रेन कैंसर के बारे में जानकारी देंगे। यह जान लेना आपके लिए बहुत जरूरी है कि सिरदर्द होना भी ब्रेन कैंसर का कारण बन सकता है।
आसानी से बच सकते हैं
बेहतर है कि बीमारी ब्रेन ट्यूमर तक न पहुंचे, क्योंकि पता चलने के बाद अकसर यह भी पता चलता है कि जिंदगी अब ज्यादा नहीं बची। एक स्थिति के बाद बमुश्किल तीन प्रतिशत मरीज ही वापसी कर पाते हैं। ब्रेन ट्यूमर के मामले में सबसे बड़ी परेशानी यह है कि शुरुआती दिनों में आसानी से इसका पता नहीं लगता।
आसानी से बच सकते हैं
आधे मरीज साल भर बाद ही जान पाते हैं कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है। 10 से 15 प्रतिशत मरीजों को पांच साल बाद इसका पता चलता है। लगभग इतने ही मरीज 10 साल बीत जाने के बाद समझ पाते हैं कि वे इस गंभीर बीमारी की चपेट में हैं। अच्छी खबर यही है कि अब चिकित्सा विज्ञान ने काफी प्रगति कर ली है और सही समय पर पता चल जाए तो ब्रेन ट्यूमर के मरीज भी आसानी से बच सकते हैं।
अनियमित रूप से कोशिकाओं का फैलना ब्रेन ट्यूमर
दिमाग के विभिन्न हिस्सों में अनियमित रूप से कोशिकाओं का फैलना ब्रेन ट्यूमर होना है। ये कैंसर रहित व कैंसरकारक दोनों तरह के हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में नॉनकैंसरस ट्यूमर के कैंसरग्रस्त होने की आशंका अधिक होती है। दिमाग का कैंसर दो तरह का होता है। पहला, जिसकी शुरुआत दिमाग की कोशिकाओं से होती है। इसे ग्लायोमा कैंसर ट्यूमर कहते हैं। वहीं, दूसरे प्रकार के कैंसर में ट्यूमर अन्य अंगों में फैलने के बाद दिमाग पर असर करता है। यह मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर कहलाता है।
लक्षण
एक हफ्ते से ज्यादा समय तक दर्द निवारक दवा लेने के बावजूद सिरदर्द होना। उल्टी, नजरों का कमजोर होना या देखने में परेशानी, सुनने व बोलने में दिक्कत, सोचने-समझने की क्षमता व याददाश्त में कमी, हाथ-पैरों में कमजोरी और शारीरिक संतुलन बिगडऩे से चल-फिर न पाना।
कारण
आनुवांशिकता, रेडिएशन के संपर्क में आने, कमजोर प्रतिरोधी तंत्र या इससे जुड़े रोग दिमागी कार्यक्षमता को प्रभावित कर रोग को जन्म देते हैं। प्लास्टिक के निर्माण में प्रयोग होने वाले विनायल क्लोराइड केमिकल या पेट्रोलियम प्रोडक्ट से भी ट्यूमर पनप सकता है।
प्राइमरी, एडवांस स्टेज की जांच
प्राइमरी: फिजिकल एग्जामिनेशन, व्यक्तिगत और पारिवारिक जानकारी से रोग की पहचान करते हैं।
एडवांस: न्यूरोलॉजिक एग्जाम, एंजियोग्राम, सीटी स्कैन, बायोप्सी व एमआरआई कर रोग की वजह को जानते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए एमआरआई स्कैन करते हैं।
अन्य हिस्सों में भी फैलाव
दिमाग के किसी एक भाग में यदि मेलिग्नेंट ट्यूमर (कैंसरग्रस्त गांठ) होता है तो कैंसररहित गांठ की तुलना में यह तेजी से फैलकर दिमाग के अन्य हिस्सों पर असर करता है। इसके दूसरे अंगों में फैलने के कम ही मामले होते हैं। ज्यादातर यह दिमाग के विभिन्न हिस्सों व सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है।
इलाज : रेडिएशन-कीमो थैरेपी
कैंसररहित ट्यूमर की आशंका में 3 माह बाद ब्रेन की स्कैनिंग करते हैं। वहीं ब्रेन में कैंसग्रस्त गांठ हो तो रेडिएशन व कीमो थैरेपी या सर्जरी करते हैं। कई मामलों में सिर्फ सर्जरी या सिर्फ कीमो व रेडिएशन थैरेपी देते हैं। इन दिनों इंट्रा-ऑपरेटिव एमआरआई सिस्टम भी मददगार है।
न्यू ट्रीटमेंट : नेविगेशन तकनीक के अलावा अवेक सर्जरी (दिमाग को सुन्न कर देते हैं और बाकी शरीर हरकत में रहता है), न्यूरोइलेक्ट्रोफिजियोलॉजी मॉनिटरिंग सर्जरी के तहत मरीज के तंत्रिका तंत्र और अन्य अंगों की कार्यक्षमता पर नजर रखी जाती है।
पोस्ट ऑपरेटिव ट्रीटमेंट : इलाज के बाद एक साल तक तीन माह के अंतराल में टैस्ट रिपोर्ट पर नजर रखी जाती है।
खानपान का रखें विशेष ध्यान
भोजन में ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन से भरपूर चीजों को खाने की सलाह देते हैं ताकि दिमाग व इसकी कार्यक्षमता दुरुस्त रहे। फिश, ब्रॉकली, पालक व सेब, संतरा या अनानास ले सकते हैं।दिमाग से जुड़ी किसी भी समस्या को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय पर बे्रन कैंसर की पहचान हो सके। तंबाकू व शराब से दूरी बनाएं।