लखनऊ। बीपी मरीजों को दवा का सेवन लंबे समय तक करना होता है। इस लेख में हम आपको बीपी के बारे में जानकारी देंगे। शरीर में रक्त का दबाव अधिक होने पर हाई बीपी 120-140, लो 80-90 रहता है। इससे अधिक होने पर उच्च रक्तचाप और कम होने पर निम्न रक्तचाप कहलाता है। मरीज को आराम मिलने पर बिना चिकित्सक की सलाह के दवाइयां बंद नहीं करनी चाहिए।
इसलिए बीपी की दिक्कत
शारीरिक श्रम कम करना, तनाव, गरिष्ठ भोजन, मोटापा, मदिरा, धूम्रपान या खानपान की गड़बड़ी से शिराएं सख्त हो जाती हैं, जिससे उनकी संकुचन क्षमता कम हो जाती है। इस कारण रक्तचाप बढ़ता है।
सिर दर्द, चक्कर आना
रक्तचाप बढ़ने पर सिर दर्द, चक्कर आना, बेचैनी, सीने में दर्द, नींद न आना, घबराहट, सांस फूलना आदि हो सकता है। रक्तचाप कम होने पर सुस्ती, निराशा, काम में मन न लगना, घबराहट आदि हो सकती है।
ये उपचार
ब्लड प्रेशर के मरीज को चिकित्सक की देख रेख में ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। यदि मरीज अंग्रेजी दवाएं ले रहा है तो एक दम से दवाइयां बंद नहीं करनी चाहिए। होम्योपैथिक दवाओं को साथ-साथ लेकर जब चिकित्सक कहे तब धीरे-धीरे दवाएं कम की जा सकती हैं।
चिकित्सक की परामर्श से दवाएं लें
उच्च रक्तचाप में सुबह खाली पेट एक नींबू का रस गर्म पानी में लें या दोपहर खाने के साथ एक नींबू का रस पीएं। रोगी को लो बीपी में नमक, ग्लूकोज, नींबू की शिकंजी लेनी चाहिए, वहीं हाइ बीपी में तेज नमक व ट्रांसफैट लेने से बचना चाहिए। चिकित्सक की परामर्श से दवाएं लें।