लखनऊ। भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति गुर्दा रोग से पीडि़त है और हर साल 8 से 12 लाख मरीज पाए जाते हैं। वहीं देश में हर साल दो लाख गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। वहीं हम सात से आठ हजार लोगों का प्रत्यारोपण कर पाते हैं। गुर्दा प्रत्यारोपण ऑपरेशन से ही मरीज स्वस्थ नहीं हो जाता। मरीज को ऑपरेशन से पहले और बाद में भी सावधानी बरतनी होती है। इसमें दवाइयों का नियमित सेवन, मास्क का प्रयोग और साफ-सफाई का ध्यान रखना होता है। यह बातें डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के नेफ्रोलॉजी कि विभागाध्यक्ष डॉ. अभिलाष चन्द्रा ने विश्व गुर्दा दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कही।
300 में 50 मरीज गुर्दा रोग से पीडि़त
संस्थान में बुधवार को नेफ्रोलॉजी विभाग द्वारा नि:शुल्क गुर्दा रोग जांच परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। शिविर निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी, डॉ. अभिलाष चंद्रा, डॉ. नम्रता राव के मार्गदर्शन में किया गया। इस शिविर में करीब 300 मरीजों की जांच की गई। जांच किए गए मरीजों में 50 मरीज गुर्दा रोग से पीडि़त पाए गए। इसके अलावा 50 मरीज मधुमेह, उक्त रक्तचाप के पाए गए जिन्हें गुर्दा रोग होने का खतरा बना हुआ है।
थीम ‘गुर्दे का स्वास्थ्य सबके लिए सब जगह’
प्रेस वार्ता की अध्यक्षता कर रहे संस्थान के निदेशक प्रो. एके त्रिपाठी ने कहा कि इस वर्ष विश्व गुर्दा दिवस का विषय ‘गुर्दे का स्वास्थ्य सबके लिए सब जगहÓ रखा गया है। उन्होंने कहा कि संस्थान में पिछले दो साल से गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा रहा है। सबसे पहला प्रत्यारोपण दिसम्बर 2016 में किया गया था। अब तक 49 सफल गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुका है। 50वां मरीज विश्व गुर्दा दिवस के लिए सलेक्ट किया गया है, जो इस हफ्ते हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में बड़ी संख्या में गुर्दा प्रत्यारोपण किया जाना संस्थान के लिए उपलब्धि है। इस दौरान यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. ईश्वर राम, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, डॉ. संजीत कुमार, नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिलाष चंद्रा, डॉ. नम्रता राव, डॉ. सुब्रत चंद्रा, डॉ. भुवन चंद्र तिवारी मौजूद थे।
आधुनिक विधि का किया जा रहा प्रयोग
डॉ. अभिलाष चंद्रा ने बताया कि हमारा संस्थान गुर्दा प्रत्यारोपण में आधुनिक विधि का पयोग कर रहा है। इसमें 12 से 45 साल तक के मरीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान में जल्द ही एबीओ इन कॉम्बीटिबल किडनी प्रत्यारोपण शुरू किया जाएगा। इसमें रिसेप्टर और डोनर का ब्लड ग्रुप ना भी मिले तो भी गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा सकता है। इस प्रत्यारोपण में करीब 6 से 7 लाख रुपए तक का खर्चा आएगा।
ऐसे होती है बीमारी
यूरोलॉजी विभाग के डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने गुर्दा रोग के कारणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सही समय पर पथरी का ऑपरेशन ना कराने से, ज्यादा शराब, सिगरेट और नमक का सेवन करने, बढ़ती उम्र के साथ प्रोस्टेट की समस्या होने पर, अव्यवस्थित जीवनशैली और गुर्दे में इंफेक्शन होने से गुर्दे की बीमारी होती है। बच्चों में अनुवांशिक कारणों से (जन्म के समय) गुर्दे या यूरिनरी ब्लैडर की बनावट में खराबी से भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि 35 साल की उम्र होने पर लोगों को नियमित जांच कराते रहना चाहिए। ऐसा करने से बीमारी का जल्द पता चलेगा और सटीक इलाज हो सकेगा।